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बादल भाई / स्वप्निल श्रीवास्तव

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इतने दिन कहाँ थे

बादल भाई!

किस मुलुक में

किस समुन्दर के किनारे

उपराये नहीं

तुम तो हो गए

गूलर के फूल

कभी तो आ जाते

हम लोगों की लेने

खोज-ख़बर


देखो सूखे पड़े हैं

हमारे पेड़ पालो

सीवान जंगल

बच्चे अगोर रहे हैं तुम्हें

रोज़ टोकते हैं

कब आएँगे बादल भाई

आओ बादल भाई!

कुछ दिन हमारे यहाँ ठहरो

बन जाओ हमारे पाहुन

घर में जो कुछ है दाना-पानी

मिल-जुल कर खा लेंगे


दरवाज़े खोल दो

आइने की तरह साफ़ कर दो

घर-आँगन

देखो, बादल भाई आए हैं

बच्चों पालागी करो

लो बादल भाई का आशीर्वाद

हाँ, बादल भाई !

क्या है देश-मुलुक की ख़बर

हम तो ठहरे देहाती-भुच्च

क्या जानें दुनिया-जहान की बातें

कुछ तुम ही बतकही कहो

हो मन मनसायन


इधर देखो, बादल भाई!

तुम्हें गोहरा रहे हैं खेत

तुम्हारे आने की ख़ुशी में गाछ

हिला रहे हैं हाथ

देर न करो, बादल भाई!

हरहरा कर बरसो

जुड़ा जाये धरती मैय्या का कलेजा


बादल भाई! बादल भाई!!!

ओ.....ओ......

बादल भाई!!!!!!!!