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बादल / चेस्लाव मिलोश
Kavita Kosh से
बादल, बादल घने, भयानक
दिल घबरा रहा है, दयनीय और उदास है पृथ्वी
बादल, घने बादल, सफ़ेद और ख़ामोश
सुबह-सुबह उठा तो दिखाई दिए,
मेरा दिल घबरा रहा है, आँखें मेरी भरी हैं आँसुओं से
घमंडी हूँ मैं, अभिमानी और कामुक— मैं जानता हूँ
बर्बरता और घृणा के बीज
मौत की नींद बुनते हैं
और मेरा शानदार, रंगीन झूठ
ढक लेता है सच्चाई को
आँखें झुकाकर महसूस करता हूँ मैं
कैसे भँवर मुझे घेरता है, तूफ़ान मुझे छेदता है
सूखे और गर्मागरम कितने भयानक हो तुम
ओ दुनिया के पहरेदार, बादल !
मैं सोना चाहता हूँ
दयालु रात मुझे ढँक लेगी आँचल से ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय