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बादळ / दुष्यन्त जोशी
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बादळ भी
बरसै आपरै मूड सूं
जरूत नीं है
बठै क्यूं बरसै
अै भी सीखग्या
मिनखां मुजब
अेक दूजै नै
दुखी देख'र
राजी हुवणौ।