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बादे-बहार आई, ख़ुशबू-ख़ुमार लाई / देवी नांगरानी
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बादे-बहार आई, ख़ुशबू-ख़ुमार लाई
ख़ुशियों का है ये मौसम, परिवार को बधाई
सूरजमुखी खिली है, ख़ुश रंग हैं फज़ाएँ
बादे-सबा ने कैसी प्यारी ग़ज़ल बनाई
भंवरो की गुनगुनाहट कोयल की कूक प्यारी
उनसे चुराके सरगम, ये धुन मधुर बनाई
चंचल-सी एक तितली चूमे सुमन सुमन को
शरमा के हर कली भी, जाने क्यों मुस्कराई
बरसात भीनी-भीनी उस पर घनी घटायें
शबनम की ओस जैसे मन को भिगोने आई
चारों तरफ हैं झूमे झोंके हवा के ‘देवी’
मदहोश होके जैसे फस्ले-बहार आई
गुलज़ार महके ‘देवी’ दिल दिल को दे दुआएँ
मंथन किया जो मन का अनुभूति सुख की पाई.