बाबरी मस्जिद-1 / अनिल अनलहातु
"रव्बना ज़ल्मना अन्फुसना वइन लम्नग फिलर्ना
वतरहम्ना वयग् फिलर्ना लतकूयनन्न मिनल्हनासिरैन!"
(हे मेरे स्रष्टा, हमने अपनी आत्मा पर अत्याचार किया है, और यदि तू हमारे प्रति क्षमादान में उदार न हुआ तो यह निश्चित है कि हमारी भे गणना अभिशप्तों में होगी)
— "बाबरनामा" , पृष्ठ-25, लेखक–ज़हीर-उद्दीन मुहम्मद बाबर।
मैंने अपने को आइने में देखा
न मालूम किस अव्यक्त दुःख से
दुखी हूँ मैं;
देख नहीं पाता हूँ
खुद को
कि दिमाग की नसें
तड़कती हैं...
मैं वर्षों आइना नहीं देखता।
मैं बुद्ध का सजल उर शिष्य
होना चाहता हूँ,
शालवनों के झुरमुट में
अंतिम प्रव्रज्या लेता "सुभद्र" (1) ।
मैं एकाएक की मौत चाहता हूँ
देखना चाहता हूँ ज़िन्दगी के पार
उस महाशून्य (2) को।
"सब्बम् दुक्खम् ..." (3) कहा उसने
निग्रोध (4) उठकर चला गया,
मैं एक भिक्खु होना चाहता हूँ।
एक सूखे अशक्त "हो" (5) बच्चे को
पैरों पर उठ खड़े होने की लाचार कोशिश
करते देखता हूँ
और रो पड़ता हूँ ।
मैं एक करुणा में जीता हूँ
मैं एक करुणा को जीता हूँ;
मैं जीता नहीं हूँ, मैं हारता हूँ
हारते हुए भी हारता ही हूँ
और हारते हुए ही जिता हूँ।
चाहे सारी दुनिया
'वेश्यायों का चकलाघर' (6) ही क्यों न हो जाए
जीना तो यहीं पड़ेगा।
"वनलता सेन" (7) की चिड़िओं के घोसलों सरीखी
आँखों में डबडबा आए
आंसुओं के उजास में,
या "आम्रपाली" (8) की सघन अमराइयों में
मैं एक नष्ट और लुप्त हो चुकी
सभ्यता के भग्नावशेषों
एवं
उन अतृप्त आत्माओं के बीच
'जीता' हूँ
जिनका पिंडदान करनेवाला कोई नहीं बचा।
यह नायपाल का "एल डोराडो" (9) है
यह सिंध का "मोएन-जो-दड़ो" (10) है
यह नेरुदा का "माच्चू-पिच्चु" (11) है
यह बिरसा का "उलीहातू" (12) है
यह अभिशप्त भूमि का वह टुकडा है
जो एक देश कहलाता है।
और मैं 'अब' इसका बाशिंदा हूँ
क्योंकि "वे" (13) नहीं हैं
"वे" (14) नहीं रहें
"वे" (15) खत्म कर डाले गए
"वे" (16) अब भी मारे जा रहें हैं
और "वे" (17) आगे भी मारे जाते रहेंगे ।
सन्दर्भ: (1) "सुभद्र" -बुद्ध से प्रव्रज्या लेने वाला अंतिम शिष्य जिसने उनके महाप्रयाण के दिन
ही प्रव्रज्या ली थी।
(2) "महाशून्य" -बौद्ध धर्म की महायान शाखा के अंतर्गत नार्गाजुन प्रवर्तित शून्यवाद
यहाँ संदर्भित है।
(3) बुद्ध का आप्तवाक्य।
(4) 'निग्रोध' -अशोक को दीक्षित करनेवाला बौद्ध भिक्खु ।
(5) 'हो' –चाईबासा, झारखण्ड के जंगलों में रहनेवाली एक आदिवासी जनजाति ।
(6) आलोचक शिवदेव की प्रसिद्ध उक्ति।
(7) 'वनलता सेन'-बांग्ला कवि जीवनानंद दास की प्रसिद्द कविता 'वनलता सेन'
यहाँ संदर्भित है।
(8) 'आम्रपाली' -वैशाली की नगरवधू आम्रपाली यहाँ संदर्भित है जो बाद में बौद्ध धर्म में
दीक्षित हो जाती है।
(9) 'एल डोराडो'-विद्याधर सूरजपाल नायपाल का ऐतिहासिक उपन्यास 'THE LOSS OF EL-DORADO' संदर्भित है। (10) 'मोएन-जो-दड़ो'–सिंध की स्थानीय भाषा में मोएन-जो-दड़ो का शाब्दिक अर्थ है–"मुर्दों का टीला" ।
(11) माच्चू पिच्चू-यहाँ पाब्लो नेरुदा की प्रसिद्द कविता "Canto XII from The Heights of Macchu Picchu" संदर्भित है।
(12) 'उलिहातु' –बिरसा भगवान के नाम से जाने जानेवाले बिरसा मुंडा के गाँव का नाम।
(13) 'वे' -यहाँ मेक्सिको के आदिवासी 'मय' और 'एज्टेक' संदर्भित हैं।
(14) 'वे' -यहाँ दक्षिण अमेरिकी "इंका" आदिवासी संदर्भित हैं।
(15) 'वे' -बेबीलोनिया (आधुनिक इराक़) में अमेरिकी फोर्सेज द्वारा मारे जा रहे निरीह नागरिक संदर्भित हैं।
(16) 'वे' -यहाँ अमेरिकी रेड इंडियंस संदर्भित हैं।
(17) 'वे' -पूरे विश्व में हाशिये के बाहर ढकेली तथा खत्म की जा रही आदिम एवं आदिवासी जनजातियाँ संदर्भित हैं।