हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बाबल साहब की बांकी हवेली
जिस मैं चार अम्बारिआं
बाबै साहेब की ऊंची हवेली
जिस में चार अम्बारिआं
पहली मैं म्हारी लाडो दिवला जगत है
दूजी में लोटा झारिआं
तीजी अम्बारी लाडो सुनरा घड़त है
चौथी में पाट बलाइआं
बाबल साहब की बांकी हवेली
जिस मैं चार अम्बारिआं
बाबै साहेब की ऊंची हवेली
जिस में चार अम्बारिआं
पहली मैं म्हारी लाडो दिवला जगत है
दूजी में लोटा झारिआं
तीजी अम्बारी लाडो सुनरा घड़त है
चौथी में पाट बलाइआं