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बाबाक कंठी / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

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ब्रह्मवेला सँ गदहवेर धरि
चलिते रहैत
जन कल्याणक लेल
 गामक लोक एहि मे
बाबाक स्वार्थ देखैत छल
कोनो परवाहि नहि
एतेक बुड़िबक थोड़े छी
मुझौना बाली कनियाँ कहलनि
अपन बहिन सँ बियाह करा देबनि
साठि बरख बीति गेल
आब बुढ़ारी मे घीढ़ारी नहि
रिफाइन ढारी
संभव छैक????
बेटा लेल बाघोपुर सँ
स्कूल बैग मंगेबाक छलनि ने
लोक बुझलक "मनोहर बाबा"
काज करैत छथि बियाहक लोभें
गामक लोक केँ एतेक बरिस मे
चिन्हब नहि की?
ताहू मे मुजौना बाली
हुनकर सासुओ अपन बहिन सँ
गछने छलीह!
रौ! घ'र मे एकसरि
मोन नहि लगैत अछि
तें ने लोकक डलबाही करैत छी
उपहासक पात्र बनैत छी
आब शहरक कुटिचालि
गाम धिना रह…
मुरूख लोक! सभ बुझैत छी
मुदा की करब????
आदति सँ लाचार
जकरा अपन संतान नहि
ओ दोसरक नेना केँ बड्ड मानैत अछि
कलाम साहेब केँ टेलीविज़न मे देखने छलियैक
बच्चाक स्कूल मे
अपने नेना जकाँ भ' गेल छलाह
इएह सिनेहक रूप
आ तकरे अपमान
परंच! आइ कहि दैत छियौक
आब फेर कंठी पहिर लेब
हमरा हंसी लागि गेल
बाबाक कंठी भोर मे ग'र
साँझ मे लतिमर्दन
ई कोनो वैष्णवक कंठी नहि
"आब ककरो कोनो काज नहि करब-
इएह कंठीक भीष्म-प्रतिज्ञा रूप"
पचास बेर उतारैत त' ह'म देखने छलियनि
कोनो भौजी अपन नेना केँ पठा क'
बाबाक केँ पुनि मना लैत छलीह
सरिपहुँसहज आ आत्मिक बाबा
सेहो बौंसेबाक आग्रह लेल
प्रतीक्षा मे रहैत छलाह
दुखद!कचोट भरल
किएक त' आइ ई कंठी
बाबाक संग जरि जायत
बाबा एहि लोक सँ जा रहल छथि
सभ गमैया स्वार्थ मे कानल
मात्र! नेना -भुटकाक आँखि मे
सिनेहक नोर
इएह नोर बाबा केँ
स्वर्गक द्वारि धरि ल' जयबाक लेल
वाहनक प्रणोदक बनत