मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बाबाजी के बगियामे कुसुम फूल, फूल फुलय कचनार
लाल रंग होरी ओ ब्रजहोरी हो
फूल लोढ़य गेली सुन्नरि, रंग होरी जो ब्रजहोरी
बेसरि लटकल डारि
कानय लगली खीजय लगली सुन्नरि, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
के देत बेसरि उतारि
घोड़बा चढ़ल ननदोसी आबय, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
हम देब बेसरि उतारि
जौं तोरा बेसरि उतारि देब, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
हमरो के कीये देब दान हो
तोहरो के देब हाथ मुनरी, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
आओर देब गृमहार
डाहब जाड़ब हाथ मुनरी, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
समुद्र भसायब गृमहार
लेबहुमे लेबहु ओहो दुनू यौवना
जाहि सँ खेलब सारी राति, रंग होरी ओ ब्रजहोरी