बाबा घासीदास / शीतल साहू
मोर छत्तीसगढ़ महतारी के अमर संतान
ए भुइयाँ के हरे जेन गरब अउ मान
सत अउ मानवता के बढ़ाइस जेन शान
ए धरती हरे जेकर करमभूमि अउ परम धाम
बाबा घासीदास रिहिस जेकर पावन नाम।
दाई अमरौतिन अउ बबा महंगू के लाल
तियाग अउ तपसिया ले करिन जेन कमाल
ए समाज के रिहिस जब बुराहाल
छुआछूत अउ अधरम रिहिस जब विकराल
मनखे मनखे के बीच मा रिहिस जात-पात के दीवाल।
ज्ञान अउ तप धारी सुरुज के उगिस तब अंजोर
गिरौदपुरी मा मनुज जनम लेके ए भुइयाँ के करिस सोर
सोनाखान के छाता पहाड़ मा तप करिस जेन बड़ कठोर
करम संग धरम के महत बताए के करिस जेन बड़ जोर
सत अउ मानवता के ज्ञान ला बिगराइस जेन चहूंओर।
बुद्ध जइसन उपदेस के देवैया
मध्यम मारग के रद्दा बतैया
हिंसा अउ कुमारग के निषेध करैया
परेम अउ समता के जोत जलैया
सत अउ धरम के सोज मारग दिखैया।
कबीर अउ नानक जइसे रिहिस जेकर ज्ञान
समाज के खातिर जिईस अपन जेन परान
सिखाइस जेन "मनखे मनखे एक समान"
बनाइस जेन एक पंथ "सतनाम"
सत अउ मानवता के परतीक जेकर "जैतखाम"
अइसन गुरु बाबा के चरन मा सत-सत परनाम।