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बाबा नागार्जुन की एक याद / भारत भारद्वाज
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दिल्ली में रहते हुए भी
बाबा
कभी नहीं तुम आए बंगाली मार्केट
गीता मन्दिर के सामने वाली गली में
तुमने नहीं देखा-
बच्चा गुलमोहर
कश्मीर के निशात, शालीमार और हर्मन गार्डन में
तुम उछल पड़ते थे बच्चा चिनार
और मैगनोलिया देखकर
अब वे वृक्ष ज़रूर बुजुर्ग हो गए होंगे
उन्हें तो पता भी नहीं होगा कि
कभी हिन्दी के एक बड़े कवि ने प्यार से उन्हें सहलाया था
अब बच्चा गुलमोहर
अमलतास को कौन सहलाए
वे कर रहे हैं तुम्हारा इन्तज़ार
शायद कभी तुम आओ