भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाबू ने कहा / अज्ञेय
Kavita Kosh से
बाबू ने कहा : विदेश जाना
तो और भी करना सो करना
गौ-मांस मत खाना।
अन्तिम पद निषेध का था,
स्वाभाविक था उस का मन से उतरना :
बाक़ी बापू की मान कर
करते रहे और सब करना।