Last modified on 12 दिसम्बर 2014, at 16:04

बाम पर आए कितनी शान से आज / रियाज़ ख़ैराबादी

बाम पर आए कितनी शान से आज
बढ़ गए आप आसमान से आज

किस मज़े की हवा में मस्ती है
कहीं बरसी है आसमान से आज

मैं ने छेड़ा तो किस अदा से कहा
कुछ सुनोगे मिरी ज़बान से आज

नीची दाढ़ी ने आबरू रख ली
क़र्ज़ पी आए इक दुकान से आज

कोई जा कर ‘रियाज़’ को समझाए
कुछ ख़फ़ा हैं वो अपनी जान से आज