बायोडाटा लिखना / विस्साव शिम्बोर्स्का / अशोक पांडेय
नोबल पुरस्कार मिलने की घोषणा होने पर पोलैण्ड की महान कवि विस्सावा शिम्बोर्स्का ने यह कविता लिखी थी। वे नोबल पुरस्कार लेने भी नहीं गई थीं।
क्या किया जाना है?
एप्लीकेशन भरो
और नत्थी करो बायोडाटा
जीवन कितना भी बड़ा हो
बायोडाटा छोटे ही अच्छे माने जाते हैं
स्पष्ट और बढ़िया चुने हुए तथ्यों को लिखने का रिवाज़ है
लैण्डस्केपों की जगह ले लेते हैं पते
लड़खड़ाती स्मृति को रास्ता बनाना होता है ठोस तारीख़ों के लिए
अपने सभी प्रेमों में से सिर्फ़ विवाह का ज़िक्र करो
और बच्चों में से सिर्फ़ उनका जो पैदा हुए
बजाए इसके कि तुम किसे जानते हो
यह अधिक महत्वपूर्ण है तुम्हें कौन जानता है
यात्राएँ, बशर्ते वे विदेशों की हों
सदस्यताएं कौन सी, मगर किसलिए — यह नहीं
प्राप्त सम्मानों की सूची, पर ये नहीं कि वे कैसे अर्जित किए गए ।
लिखो, इस तरह जैसे तुमने अपने आप से कभी बातें नहीं कीं
और अपने आप को ख़ुद से रखा हाथ भर दूर ।
अपने कुत्तों, बिल्लियों, चिड़ियों,
धूलभरी निशानियों, दोस्तों, और सपनों के ऊपर
ख़ामोशी से गुज़र जाओ
क़ीमत? वह फ़ालतू है.
और लेबल, यह नहीं कि भीतर क्या है ।
उसके जूते का साइज़, यह नहीं कि वह किस तरफ़ जा रहा है —
वह जिसे तुम मैं कह देते हो ।
और साथ में एक तस्वीर जिसमें एक कान दिखाई दे रहा हो
— कान का आकार महत्वपूर्ण है, वह नहीं जो उसे सुनाई देता है ।
वैसे भी सुनने को है ही क्या ?
— काग़ज़ चिन्दी करने वाली मशीनों की खटर-पटर
फ़क़त ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पांडेय