बारह कविताएँ / दुन्या मिखाईल / कल्पना सिंह चिटनिस
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(1)
हम बादलों की तरह हौले-हौले करते हैं पार सीमाएँ ।
कोई भी हमें अपने कन्धों पर ढोकर नहीं लाता,
पर हम बढ़ते हैं आगे
अपनी बारिश, और अपने उच्चारण के साथ,
और लाते हैं एक याद,
किसी दूसरी जगह की ।
(2)
वतन मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ
फिर क्यों तुम मेरी गोद में आकर रोते हो
जब भी दुखता है तुम्हारा दिल ?
(3)
कोई पेड़ अपने आप से यह नहीं पूछता
कि वह दूसरे जंगल में क्यों नहीं चला जाता,
नहीं करता कोई ऐसे वाहियात सवाल ।
(4)
उसने उसका सिर उठाकर अपने सीने से लगाया
पर उसने कोई जवाब नहीं दिया :
वह मरा हुआ था ।
(5)
बस ऐसे ही,
हमारी हरी-भरी उम्र को समेट कर उन्होंने
एक भूखी भेड़ को खिला दिया ।
(6)
घरों की चाबियाँ,
परिचय-पत्र,
और धुन्धला गए चित्र,
ये सारी चीजें छितरी पड़ी हैं
एक सामूहिक क़ब्र में,
हड्डियों के ढेर पर ।
(7)
हमारे कबीले के कुछ लोग
युद्ध में मारे गए ।
कुछ मर गए साधारण मौत से ।
उनमें से
कोई भी
उल्लास से नहीं मरा ।
(8)
मृत आत्माएँ
चान्द की तरह होती हैं
पृथ्वी को अपने पीछे छोड़
दूर निकल जाती हैं ।
(9)
सामूहिक क़ब्रों पर पड़े
रँग-बिरँगे फूल ही,
मृतकों के
अन्तिम शब्द हैं ।
(10)
हम सब पतझड़ के पत्ते
किसी भी समय
गिर जाने के लिए तैयार हैं ।
(11)
मेरा दिल
बहुत छोटा है:
इसीलिए
वह बहुत जल्द
भर जाता है।
(12)
अरबी भाषा को पसन्द हैं
लम्बे वाक्य
और लम्बे युद्ध ।
उसे पसन्द हैं
कभी न खत्म होने वाले गीत
और लम्बी रातें।
उसे पसन्द हैं
बर्बादियों का मातम मनाना,
लम्बे जीवन के लिए श्रम करना
और एक लम्बी मौत मरना ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कल्पना सिंह चिटनिस
लीजिए, अब ये ही कविताएँ अँग्रेज़ी में पढ़िए, अरबी से अनुवाद ख़ुद कवि ने किया है।
1
We cross borders lightly like clouds.
Nothing carries us,
but as we move on
we carry rain,
and accent,
and a memory of another place..
2
Homeland, I am not your mother,
So why do you weep in my lap like this every time
something hurts you?
3
The tree doesn’t ask why it’s not moving
to some other forest
nor any other pointless questions.
4
She raised his head to her chest.
He did not respond:
he was dead.
5
Just like that,
they packed our green years
to feed a hungry sheep.
6
House keys,
identity cards,
faded pictures among the bones..
All of these are scattered
in a single mass grave.
7
Some of our tribal members
died in war
Some died regular deaths.
None of them died from joy.
8
The dead act like the moon:
they leave the earth behind
and move awary.
9
Those colourful flowers
over the mass graves
are the dead’s last words.
10
All of us are autumn leaves
ready to fall at any time.
11
My heart’s quite small:
that’s why it fills so quickly.
12
The Arbic language
loves long sentences
and long wars.
It loves never-ending songs and late nights
and weeping over ruins. It loves working
for a long life
and a long death.