बारह बरख के उमरिया / मैथिली लोकगीत
बारह बरख के उमरिया, की तेरहम चढ़ल रे
ललना रे कैहन करम दैब देलनि,की पुत्र नहि देलनि रे।
सासु मोरा मारथि हमरा, ननदि गरियाबथि रे
ललना रे गोतनो हंसथी मुस्काई की ,सब धन हमहि लेबै रे
अंगना बहारैत तोहें चेरिया की तोहीं मोर हित बसु रे
ललना रे आनी दीय पिया के बजाय की धनि नहीं बाँचत रे।
जुअबा खेलैते राजा बेल तर आओर बबूर तर रे
राजा! यौ अहूँक धनि बिखहुक मांतल आब नहीं बाँचत हे।
जुअबा फेकल राजा बेल तर आओर बबूर तर रे
धनि हे एलौं हम अहाँके उद्देश की अहाँ किये मांतल रे
ललना रे मोरा धनि बिखहुके मातल आब नहीं बाँचत रे।
सासु जे मारै राजा हमरा ननदि गरियाबथि रे
राजा! यौ गोतनो हंसथी मुस्काई की सब धन हमहि लेबै रे।
अंगना में कुंईया खुनायेब, जग करबायब हे
धनि हे! ताहि मय आधा राज लुटायब कीकि संपत्ति लुटायब हे
धनि हे! ताहि में लुटेबै आधा राज कि संपत्ति हम लुटाइये देबै रे।