बारांमाह बुल्ले शाह / बुल्ले शाह
अस्सू लिक्खो सन्देस्वा<ref>सन्देसा</ref> वाचे हमरा पीओ।
गौने<ref>मुकलावा</ref> कीआ तुम काहिको, कलमल हमरा जीओ॥1॥
अस्सू असाँ तुसाडी आस।
साडी जिन्द तुसाडे पास।
जिगरे मुढ्ढ प्रेम दी लास।
दुःखां हड्ड सुकाए मास।
सूलाँ साड़िआँ॥1॥
सूलाँ साड़ी रही उरार।
मुट्ठी तदों ना गइआँ नाल।
उलटी प्रेम नगर दी चाल।
बुल्ला सहु दी कर सँभाल।
प्यारे मैं सारिआँ॥1॥
बैसाखी बीतन कठन से संग मीत ना होए।
किस किस आगे जा कहा इक्क मंडी भा दोए।
जे मैं होवाँ सुख, वैसाख 1-6
कछा<ref>खेत नापे जाण जब खेती पक्क जाये</ref> पौण ताँ पके साख।
जै घर लागी तै घर लाख<ref>देख</ref>।
कई बात ना सका आख।
कन्ताँ वालिआँ।
कन्ताँ वालिआँ डाढे ज़ोर।
मैं ताँ झूर झूर होईआं होर।
कंडे पुड़े कलेजे ज़ोर।
बुल्ला सहु बिन मन्दा सोर।
मैं घत्त गालिआँ॥8॥
भादरों भावे ताँ सखी पल पल हेत मिलाप।
जब घट<ref>दिल, हृदय</ref> देक्खो आपणा पर घट आप ही आप।
भादरों रब्ब ने भाग जगाया।
साहिब कुदरती सेती पाया।
हर विच्च हरि ने आप छुपाया।
शाह अनायत आप लखाया।
ताँ मैं लखिआ।
तहीएँ होन्दी उमर तसला।
पल पल मंगदे नैण तजला।
बुल्ला शाह करे लोहला।
मैं परेम रस चाखेआ।