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बारात के रास्ते का गीत / 1 / भील
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आंबा नी नांबी डाले, डाले झोला खाय।
भाइ नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
भोजाई नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
बहिण नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
बणवि नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
काका नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
काकी नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
फुवा नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
फुइ नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
- आम की लम्बी टहनी हैं, टहनी झोले खा रही हैं। भाइयों की लम्बी जोड़ी हैं अर्थात् बहुत भाई हैं, भाइयों की जोड़ी झोले खा रही हैं। इसी प्रकार भौजाई, बहन-बहनोई, काका-काकी, फूफा-बुआ का नाम लेते हुए गीत चलता है।