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बारात के रास्ते का गीत / 2 / भील

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

उभो रे मयदान मा, उभो रहयो रे बेना।
बइं ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
बणवि ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
भाइ ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
भोजाइ ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
फुवा वाटे, उभो रहयो रे बेना।
फुइ ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
गांवल्या वाटे, उभो रहयो रे बेना।

- बना रुक गया है, क्यों रुका? उसकी बहन पीछे रह गई थी, इसलिए रुका। इस प्रकार सम्बन्धियों के नाम लेकर गाते हुए गीत आगे बढ़ता चला जाता है।