भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बारिशों का मौसम / राजीव रंजन
Kavita Kosh से
सारी खुशबूओं को दबाकर
मिट्टी की सोंधी महक
नाकों में आ रही है।
शायद बारिशों का
मौसम आने वाला है।
तभी तो जली यह धरती
फिर से खिल उठी।