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बारिश के बाद / इला प्रसाद
Kavita Kosh से
बाद बारिश के
मिट्टी से उठती हुई
सोंधी खुशबू
यहाँ नहीं मिलती।
सब्जियों में स्वाद, फ़ूलों में सुगन्ध
सम्बन्धों में आत्मीयता
नहीं मिलती।
सतह पर सब सुखद था
जब तक भीगे नहीं थे।
यह तो बारिश के बाद का सच है!