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बारिश के मौसम के हैं कई रूप / रमेश तैलंग

पिछली गली में झमाझम पानी
अगली गली में है सुरमई धूप
बारिश के मौसम के हैं कई रूप।

माई मेरी, देखो चमत्कार कैसा,
धोखाधड़ी का ये व्यापार कैसा,
किसना की मौसी की टोकरी में ओल,
बिसना की मोसी का सूखा है सूप।

सुनता नहीं सबकी ये ऊपर वाला,
उसके भी घर में है गड़बड़ घोटाला
चुन्नू के घर में निकल गए छाते
मुन्नू के घर वाले रहे टाप-टूप।

बारिश के मौसम के हैं कई रूप ।