बारिश / कल्पना मिश्रा

तपती दुपहरी से,
जलती हुई धरती से
प्यासे नैनो से
सुखे रैनो से

पूछो बारिश क्या है ?
रूखे बालों से
सूखे खयालों से
मुरझाए पौधो से
चातक के सौदो से

पुछो बारिश क्या है ?
अतृप्त कंठों से
गर्मी में व्यतीत घंटो से
प्रेमी के हृदय से
मीठे समय से

पूछो बारिश क्या है ?
जीवन की अंतिम बेला से
उमस भरी रैना से

कुम्हार के मटके से
लू के झोंके से
पूछो बारिश क्या है ?

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