भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बारिश / चन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बारिश खेतों की आत्मा के ज़ख़्म पर
भीगी हुई
मलहम है

बारिश पागल नदियों के लिए
प्रेमियों, कवियों के लिए
कोई कविता कोई गीत
कोई संगीत है

बारिश तालाबों पोखरियों पर्वतों
वनाँचलों के छातियों में
ताज़ी-टटकी
जीवनदायिनी सांस है
पथारों के झींगुरों और दादुरों की
मल्हार राग है

चिरई- चुरूँगों के लिए
बस प्यार ही प्यार है

पृथ्वी की हरियाली के लिए बारिश
हंसी-ख़ुशी है
उत्सव और त्यौहार है

पर मुझे बहुत ग़म है
बहुत ग़म है
कि
बारिश

उनके लिए डर है
ख़ामोश कोई कहर है

जिनके मस्तक पर
छान्ही की झोपड़ियाँ तो है

पर उन झोपड़ियों से
दिखता आधा आसमान है
दिखतीआसमानी नदियों की बौछार है

मुझे बहुत ग़म है
बहुत ग़म है
कि
बारिश
ग़रीबों के लिए बेवफ़ा सनम है !!