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बारिश / चन्द्र
Kavita Kosh से
बारिश खेतों की आत्मा के ज़ख़्म पर
भीगी हुई
मलहम है
बारिश पागल नदियों के लिए
प्रेमियों, कवियों के लिए
कोई कविता कोई गीत
कोई संगीत है
बारिश तालाबों पोखरियों पर्वतों
वनाँचलों के छातियों में
ताज़ी-टटकी
जीवनदायिनी सांस है
पथारों के झींगुरों और दादुरों की
मल्हार राग है
चिरई- चुरूँगों के लिए
बस प्यार ही प्यार है
पृथ्वी की हरियाली के लिए बारिश
हंसी-ख़ुशी है
उत्सव और त्यौहार है
पर मुझे बहुत ग़म है
बहुत ग़म है
कि
बारिश
उनके लिए डर है
ख़ामोश कोई कहर है
जिनके मस्तक पर
छान्ही की झोपड़ियाँ तो है
पर उन झोपड़ियों से
दिखता आधा आसमान है
दिखतीआसमानी नदियों की बौछार है
मुझे बहुत ग़म है
बहुत ग़म है
कि
बारिश
ग़रीबों के लिए बेवफ़ा सनम है !!