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बारिश / जैक गिलबर्ट / अनिल जनविजय

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अचानक यह पराभव !
यह बारिश !

सब नीले रंग धूसर हो गए
मटमैले सब रंग खूसर हो गए
पीले रंग बदल गए
गहरे कहरुबाई रंग में
और ठण्डी गलियों में घूम रहा है
तुम्हारा गरम शरीर ।

किसी कमरे में मौज़ूद है
गर्म शरीर आपका
पर तमाम लोगों के बीच आप
फिर भी हैं ग़ैरहाज़िर
लोगों के बीच आप जैसे आप नहीं हैं ।

पेड़ों के साथ मैं हमेशा सहज रहता हूँ,
न जाने कितने समय से
पहाड़ों से भी बहुत ज़्यादा क़रीबी है,
आनन्द से रहना मेरी एक आदत बन चुकी है ।

और अब
अचानक
यह बारिश !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता गुजराती में पढ़िए
          જૅક ગિલ્બર્ટ
              વરસાદ

અચાનક આ પરાભવ.
આ વર્ષા.
નીલા રંગોનું પલટાઈ જવું ભૂખરામાં
અને પીળાનું
ભયાનક ઘેરા પીળામાં.
ઠંડીગાર શેરીઓમાં
તારો હૂંફાળો દેહ.
કોઈ પણ ઓરડામાં
તારો હૂંફાળો દેહ.
આટલા લોકોની વચ્ચે
તારું ન હોવું.
આટલા બધા, લોકો જે ક્યારેય
'તું' નથી.

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नन्दिता मुनि

अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
       Jack Gilbert
            Rain

Suddenly this defeat.
This rain.
The blues gone gray
And the browns gone gray
And yellow
A terrible amber.
In the cold streets
Your warm body.
In whatever room
Your warm body.
Among all the people
Your absence
The people who are always
Not you.

I have been easy with trees
Too long.
Too familiar with mountains.
Joy has been a habit.
Now
Suddenly
This rain.