बारिश / विजय कुमार पंत
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बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना 
हरे-भरे उपवन संग नाचें 
शीतल मंद पवन, मन कोना 
बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना...
उड़कर सोंधी महक धरा से
भावः अलंकृत कर देती है 
झूम घटाएँ रिमझिम रिमझिम 
हर मन झंकृत कर देती है 
फिर फिर जिद फुहार करती है 
आओ भीगें साथ चलो ना.... 
बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना...
तृप्त धरा का कण कण ऐसे 
प्रेम सुधा बरसी हो जैसे 
अद्भुत एक अलौकिक बंधन 
है ये, छूटे भी तो कैसे 
हर्षित हर नव अंकुर करता 
सफल हुआ उसका माँ होना 
बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना.... 
देखो मेघ लिए जल अपना
तृण तृण को देते है जीवन 
देख ख़ुशी औरों के मुख पर 
खुश होता है उनका भी मन 
जीवन वो जो औरों का है 
अपना ही होना क्या होना 
बारिश की बूंदें लाती है
नव जीवन नव रंग सलोना
हरे-भरे उपवन संग नाचें 
शीतल मंद पवन, मन कोना
 
	
	

