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बारूंमास होळी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सूरज तो
रसियो जबरो
खेलै होळी
बारूंमास
भाख फाटतां ई
मारै पिचकारी
सिंदूरी किरणां री
दुनियां रै मूंडै
चमक परा जागै
सूत्योड़ा लोग
मुळकै सूरज
हाथ में लियां पिचकारी
नूंतै-
आवो, खेलां होळी !