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बारे-ग़मो-अन्दोह उठा सकता हूँ / रमेश तन्हा
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बारे-ग़मो-अन्दोह उठा सकता हूँ
हर दर्द को सीने में छुपा सकता हूँ
इतनी तो है क़ुव्वते-इरादी मुझ मर
तूफ़ान में भी दीया जला सकता हूँ।