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बार-बार मनै अजमा राखे मतलब के इन्सान पिया / मेहर सिंह

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वार्ता- जब चाप सिंह छुट्टी काट कर वापिस चल पड़ता है तो सोमवती क्या कहती है

परदेसां मैं चाल्य पड़या ना मेरी ओड़ का ध्यान पिया
बार-बार मनै अजमा राखे मतलब के इन्सान पिया।टेक

हरिश्चन्द्र नै तारावती तै कह दिया बोल तकाजे का
फूकण खातर जगह दई ना रोहताश कंवर था साझे का
तारवती मढ़ी में सोगी मुंह खुल रहा था दरवाजे का
डायण समझ कै चोटी पकड़ी कर दिया तोड़ मुहलाजे का
सिर काटण नै त्यार होआ उड़ै परकट हुए भगवान पिया।

राज नळ नै दमयन्ती जा ब्याह ली कुन्दन पुर तै
राज जिता वा गैल चली गई ना गर्ज करी माया जर तै
सूती समझ कै साड़ी काटी ना परीत हुई ब्याहे बर तै
रामचन्द्र दशरथ का लड़का वा सीता काढ़ दई घर तै
ऋषि बाल्मीकि नै बण में पाळी वा सीता की सन्तान पिया।

पवन भूप नै अंजना ब्याही बारहा साल दुहाग दिया
सुहाग मिला जब सास जळी नै लगा खोड़ कै दाग दिया
धन धन सै उस पतिव्रता नै घर कुणबा सब त्याग दिया
बरहां ऋषि कै धौरै रह कै घर का छोड़ बैराग दिया
वा पति के कारण तंग पाई हुए बणखण्ड में हनुमान पिया।

जमदग्नी ने सती रेणुका बिना खोट मरवाई क्यूं
भामासुर ने सतरूपा नार बिना खोट कढ़वाई क्यूं
कामेश्वर पै कपिल मुनि ने शीला दे नार सताई क्यूं
उस दुर्योधन नै नार दरोपद सभा बीच बुलवाई क्यूं
कहै जाट मेहर सिंह रचया त्रिया तै यो सारा सकल जहान पिया।