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बाला के विवाह का विचार / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे बोले लागलरे बनियाँ बालाके बियहवा रे।
होरे कोईये तो ब्राह्मण हे आवे लगन बिचार हे॥
होरे एतना सुनिये माता मन खुशी भेली हे।
होरे पांचों तो बहिन हे माता सलाह करले हे॥
होरे ब्राह्मण चाहीये जे छह चांदो सौदागर रे।

होरे ब्राह्मण रूप धरी दैबी बिषहरी हे।
होरे सरब सिंगार करी आयल बिषहरी हे॥
होरे हरहरा नाग हे माता सिर के तिलक हे।
होरे सुतिआ से नांग हे माता करले जनेऊ हे॥
होरे साँप के केचुली हे माता ओंढ़न-पहिरन हे।
होरे धमना से नाग माता सोवरन साट हे॥
होरे एतना जेकैले हे माता ब्राह्मण सरूप हे। ़़
होरे जायते जुमली अब चांदवा आवास हे॥
होरे चांदो के दुआरी माता ठाढ़ भए गेली हे।
होरे बोल ने लगली हे माता बनियाँ सरण हे॥
होरे आबहु बहार रे होहु ब्राह्मण दुआरी रे।
होरे एतना सुनियेरे बनियाँ बड़ी खुशी भइले रे॥
होरे एक हाथे लेले रे बनियाँ सिंहासन पाट रे।
होरे दोसरा जे हाथे बनियाँ झारी भरि पानी रे॥
होरे गोड़ धोवावन बैंठल देवता ब्राह्मण रे।
होरे पान जे सुपारी रे चन्दों करेले हजूर रे॥
होरे खोलहे पतरा हे देवता लगन बिचारी हे।
होरे चान्दी र बात मानी पतरा उचारे हे॥
होरे खोलिके पतरा ब्राह्मण लगन बिचारै हे॥
होरे सुन्दर लगन हे चांदो बालक के छइ हे।
होरे लेहो आवे पान हे देवता कन्या खोजहु हे॥
होरे पांचो होंसे दिने हे ब्राह्मण धरले निआर हे।
होरे चलि भैले आवे ब्राह्मण बाला केर बर तुही हे॥