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बालूपंक वर्ष / वाल्ट ह्विटमैन / दिनेश्वर प्रसाद

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बालूपँक वर्ष मुझे चक्कर खिलाते न जाने कहाँ ले जा रहे हैं
तुम्हारे षड्यन्त्र, राजनीति व्यर्थ हैं, सिद्धान्त हार मान लेते हैं,
वास्तविक अभिप्राय मुझे मुँह चिढ़ाते और समझ में नहीं आते
केवल मैं जिस विषयवस्तु का गायन करता हूँ, वह महान्  और 
दृढ़निश्चय आत्मा मेरी समझ से परे नहीं जाती,
अपना स्वयं कभी पराजय नहीं माने यही है अन्तिम
सारवस्तु — जो सबसे अधिक सुनिश्चित है,
राजनीति, विजयों, युद्धों, जीवन, इनका अन्त में शेष क्या रह जाता है !
जब तमाशे ख़त्म हो जाते हैं, तब अपने स्वयं के सिवा विश्वसनीय ही क्या होता है ?

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिनेश्वर प्रसाद

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
               Walt Whitman
           QUICKSAND YEARS

Quicksand years that whirl me I know not whither,
Your schemes, politics, fail-lines give way-substances mock and elude me;
Only the theme I sing, the great and strong-possess'd soul, eludes not,
One's-self must never give way - that is the final substance - that out of all is sure,
Out of politics, triumphs, battles, life, what at last finally remains?
When shows break up, what but One's-Self is sure?