बाल कविताएँ / भाग 16 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1-पेड़
हमें बहुत ही भाते पेड़
काम सभी के आते पेड़ ।
जब तपता है सारा अम्बर
आग बरसती है धरती पर ।
फैलाकर पत्तों का छाता
सबको सदा बचाते पेड़ ।
पंछी यहाँ बसेरा पाते
गीत सुनाकर मन बहलाते
वर्षा , आँधी-पानी में भी
सबका घर बन जाते पेड़ ।
इनके दम पर वर्षा होती
हरियाली है सपने बोती ।
धरती के तन-मन की शोभा
बनकरके इठलाते पेड़ ।
जितने इन पर फल लद जाते
ये उतना नीचे झुक जाते ।
औरों को सुख देकर भी
तनिक नहीं इतराते पेड़
-0-
2-नीम
आँगन में मुस्काता नीम
चुपके मुझे बुलाता नीम
बौर महकता झूमे डाली
दुनिया पत्तों की रखवाली
हरियाली फैला नीम ।
सिर पर अपने धूप झेलता
छाँव बाँटकर खूब खेलता
सबके मन को भाता नीम ।
कड़ुआ तन है, मीठा मन है
जीवन देना ही जीवन है
सीख यही सिखलाता नीम ।
-0-