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बाल कविताएँ / भाग 9 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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लाल बुझक्कड़
अक्कड़- बक्कड़
लाल बुझक्कड़ ।
सिर पर लादे
मोटा लक्कड़ ।
कभी सोचता
कभी दौड़ता ।
खूब उड़ाता
धूल व धक्कड़ ।
हँसकर बोले
सदा प्रेम से ।
मौज उड़ाता
बनकर फक्कड़ ।
मेरे मामा
मेरे मामा
बिल्कुल गामा ।
पहने कुर्ता
और पजामा ॥
बड़े सवेरे
हैं जग जाते ।
पाँच मील तक
बीसों केले
और चपाती ।
एक बार में
चट कर जाते ॥
मेरे मामा
अच्छे मामा ॥
गुड़िया रानी
मेरी भोली गुड़िया रानी
सुनती मुझसे रोज़ कहानी।
आँखें नीली सुन्दर बाल
परियों जैसी इसकी चाल ।
बढ़िया जूते, कपड़े पहने
मेरी गुड़िया के क्या कहने