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बाल भिखारिन / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
पतली दुबली
देह टिटिहरी
धूप-धूप में चलते-फिरते
नंगे पाँव
छोटी लड़की
छुटभैयों से माँग रही है
छोटे मुँह से
छोटी भीख
अपना छोटा पेट
खलाए
मुट्ठी भर आटे
की ढेरी तसली में बैठाए-
हिमगिरि को इस तरह उठाए।
रचनाकाल: १६-०६-१९७७, बाँदा