भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बावळी / पूर्ण शर्मा पूरण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तावड़ी बावळी
करै उतावळी
सुरजियै रै भकायां बाळै
मरूधरा रौ सिर
अर आभै री पगथळी
हाल ठाह कोनी उण नै
कै वा
कमावै पाप
भोळी झळ रौ साप
डस लेसी जद सगळा नै
तौ हुयसी वा आप ई
गळगळी।