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बाहर खड़खड़ भड़भड़ शोर / दूधनाथ सिंह
Kavita Kosh से
बाहर खड़खड़
भड़भड़ शोर
भीतर झलफल
भोर अँजोर
बाँधी डोर
बटोर
काल की
ओर-छोर
सौंपा
बचा-खुचा जीवन
फिर तुमको ।
फूटा स्रोत
सभी दिशाएँ
विस्मित घोर
अछोर ।