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बा आवै / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
फसल पाकगी
खळा कढ़ग्या
रिंद रोही
तावड़ै री झळ
खाली खेतां में
भतूळियां रौ नाच
इसै में
बा तपे
लूण्योडै़ खेतां नै लूणै
थोथी बालां में दाणां सोधै
खळां री रेत निवारै
खेतां री जूंठ पर
टाबर पाळै
इण सारू ई रोजीना
पारकै खेतां री डोळी पर
डैरो लागै/माटी रै ठीयां पर
चा उकळै
इणी डोळी पर बैठ
घड़ी भर सुस्तावै
छाती रै चैप - टाबर नै चुघांवै
देखौ,
बा आवै-बा आवै।