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बिंब / कुमार अनुपम

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एक अवसर है अतीत के प्रायश्चित का
अनर्थ की आशंका से मनमसोस
अंततः छोड़ना ही उचित
एक सुंदर बिंब का मोह
जबकि उसकी उपज का भी उद्देश्य
असंदिग्ध अपने भिन्न अर्थों में
 
टिड्डी की हरीतिमा जोंक-सी जकड़ जैसे बिंब अनेक
चाँद सदृश
सुंदर नहीं हैं एक फफोले से अधिक
 
बिंब के चुनाव पर निर्भर बहुत
कथन की दिशा-दशा
कला की प्राचीन बहस से नहीं
एक किसान से सीखा
कि सुंदर नहीं सार्थक होना जरूरी
अभिरुचि का लक्ष्य