भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिकते जनपद थाने / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
Kavita Kosh से
बिकते जनपद थाने
नकली दवा , प्रदूषित पानी
सेहत के अफसाने
ढूंढ रहे शैवाल वनों में
हम मोती के दाने
लोभी कुर्सी , भृष्ट व्यवस्था
राजनीति दलबदलू
ठेका, टेण्डर और कमीशन
सिक्के के दो पहलू,
बंदर बाँट, आँकड़े फर्जी
बिकते जनपद थाने
सुविधा शुल्क, बढ़ी मँहगाई
रामराज्य के सपने
निभा रहे दोमुँही भूमिका
जो कल तक थे अपने
आसमान छूने की बातें
खाली पडे़ खजाने
अफसरशाही, नेतागीरी
एक खाट दो पाये
खोटे सिक्कों की नगरी में
सोना मुँह लटकाये
लाठी, डण्डे, बम, बन्दूकें
लोकतन्त्र के माने
ढूंढ रहे शैवाल वनों में
हम मोती के दाने