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बिकन चले दोनों प्रानी / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बिकन चले
बिकन चले दोनों प्रानी हो दानी बिकन चले

किनका कारन राजा बिक गए
किनका कारन रानी
किनका कारन रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले

सत्य के कारन राजा बिक गए
राजा के कारन रानी
रानी के कारन रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले

किनका हाथ में राजा बिक गए
किनका हाथ में रानी
किनका हाथ में रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले

डोम के हाथ में राजा बिक गए
पंडित हाथ में कारन रानी
रानी के संग में रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले