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बिखरती ज़िन्दगी को यूँ सजा लें / कुमार नयन

बिखरती ज़िन्दगी को यूँ सजा लें
चलो कुछ ख़्वाब आंखों में बसा लें।

दिलों पर रख के अहसासों का मरहम
जहां का ज़ख़्म बढ़ने से बचा लें।

कहीं पानी भी है तो खौलता-सा
सुलगता दूर अश्क़ों से बुझा लें।

अगर सुनता है वो हर एक दिल की
ख़ुदारा काफिरों की भी दुआ लें।

सुकूं बच्चों के जैसा ही मिलेगा
कलेजे से ग़मों को तो लगा लें।

चुभन होगी जहां ख़ुशबू भी होगी
गुलों पर पहरे हैं कांटे चुरा लें।

हमारे पास अब आंसू नहीं हैं
किसी से दर्द होने की दवा लें।