बिखा पड़ी का मोल नहीं, तू पतियों से न्यारी जाइये रै ।
दिल दरिया की झाल डाट कै अपणा धर्म बचाइये रै ॥टेक॥
वो दुर्योधन छत्रधारी, म्हारी छुटगी ऐश अमीरी रै ।
किस्मत मैं लिख राखी करणी, तेरहा साल फ़क़ीरी रै ।
नहीं अलग करण नै जी करता, तनैं प्यारी अर्धशरीरी रै ।
पर होनहार बलवान, इसे पासे पड़गे तकदीरी रै ।
वो राज-ताज-धन फेर मिलै, उस दिन की ख़ैर मनाइये रै ।1।
बड़ी ख़ुशी की बात द्रौपदी, तू रंग महल मैं रहिये रै ।
कोए छोटी-मोटी पड़ै मुसीबत, उसनै सिर पै सहिये रै ।
राणी धोरै लिए माँग जो ओढ़ण, खाण-पीवण नै चहिये रै ।
राँड-नपूति सोक ऊतणी, किसै नै मतना कहिये रै ।
आगै पीछै झूठी-साँची, चुगली मतना लाइये रै ।2।
आळकस नींद किसान नै खोवै, चोर नै खोवै खाँसी रै ।
करड़ा ब्याज मूळ नै खोवै, बीर नै खोवै हाँसी रै ।
लालच लोभ धर्म नै खोवै, मर्दां नै बदमासी रै ।
कपटी वज़ीर राजा नै खोवै, राणी नै सुथरी दासी रै ।
तू सिंहणी बणकै रहिये किसे के, मत क़सूर मैं आइये रै ।3।
इस विराट देश मैं रह कै अपणा, बख्त करैंगे भीड़ा रै ।
लेकै ज्ञान कव्हाड़ा दें काट, दिसोटा रूख हरीड़ा रै ।
करैं श्रीकृष्ण का भजन मेटदें, चीस चभक दुख पीड़ा रै ।
माया अपरम्पार करै जो, पत्थर मैं पैदा कीड़ा रै ।
निहालचंद उस भक्तवत्सल के, हरदम गुण गाइये रै ।4।