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बिच्छू उतारने का मंत्र / 2 / भील
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काली गाय कपने गई, हरे डूंगरे गई वहाँ से
चिरि फिरि सागड़े गोठाणे गई वाहाँ एक पोठो करीयो
एक पोठाम् बारेह विछु निकल्या, एक विछु चोटी पे चड्यो
मेर से निहि उतरे मेरा गुरू उतारा,
इस मंत्र को एक बार में नही उतरे तो 10 मिनिट बाद दुबारा बोलना और जहाँ
तक चढ़ा हुआ है वहाँ तक हाथ फेरते-फेरते नीचे की ओर लाते हैं। बिच्छू उतारने
के लिये रखोड़े का उपयोग करते हैं। बिच्छू उतारने के लिये अलग-अलग मंत्र का
उपयोग करते हैं।