भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिछड़ना उससे भी अब तो गवारा कर लिया हमने / गोविन्द राकेश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिछड़ना उससे भी अब तो गवारा कर लिया हमने
बहुत मज़बूर हो कर ही किनारा कर लिया हमने

उसे तो दे दिया हम ने सभी कुछ जो हमारा था
लुटाया और खुद को बे सहारा कर लिया हमने

नहीं दिखती शराफ़त की निशानी भी जहाँ में अब
तभी तो बेवफ़ाई का नज़ारा कर लिया हमने

नहीं सूरज ढला तो आसमाँ से आग बरसेगी
दहकती धूप में ही तो गुज़ारा कर लिया हमने

परोसा झूठ फिर उसने हमें बेहद सफ़ाई से
यक़ीं इस बार भी उस पर दुवारा कर लिया हमने