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बिछड़ के मुझसे मेरा इंतज़ार करता है / सिया सचदेव
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बिछड़ के मुझसे मेरा इंतज़ार करता है
वो उंगुलियों पे हर एक दिन शुमार करता है
बिछा दिया मिरी राहों में अपना दिल तूने
ये काम वो है जो इक जाँ _निसार करता है
वो दुश्मनों के इरादों को भांप कर उन पर
बड़े सधे हुए हाथो से वार करता है
कोई सितारा ए सहरी है या मेरी यादे
कोई तो है जो उसे बेक़रार करता है
उबूर करता है हर इक भंवर को तेरा ख्याल
बगैर नाव के दरिया को पार करता है
सिया मैं जान भी दे दू तो इससे क्या होगा
वो दोस्तों में मुझे कब शुमार करता है