भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिछोह से पहले वे दोनों / हेनरिख हायने

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिछोह से पहले वे दोनों
ख़ूब उदास हैं औ' रोते हैं
हाथ पकड़ एक-दूजे का वे
आहें भर रहे होते हैं
 
लेकिन मैं और तू न रोए
जब समय वियोग का आया पास
पर दूर हुए एक दूजे से जब
रोए तब हम औ' रहे उदास


रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय