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बिजली का बल्ब / रमेश कौशिक
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बिजली का बल्ब
फूँक मार कर मुझे
बुझाने की कोशिश बेकार
मैं छोटा सूरज हूँ
मुझसे डरता है अँधियार्।
आती शाम डूबता सूरज
सब कुछ-काला
एक बटन दबते ही घर में
हो जाता उजियाला।