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बिजली फेल होने पर / बेढब बनारसी


फेल बिजली हो गयी है
रात मेरे ही भवन में आज आकर खो गयी है
आ रही थीं वह लिए थाली मुझे भोजन खिलाने
मैं उसी दम था झपटकर जा रहा रूमाल लाने
देख पाया मैं न उनको. वह न मुझको देख पायीं
रेलगाड़ी से लड़े दोनों, धरा पर हुए शायी
पेट पर रसदार जलता शाक, पूरी पाँव पर थी
आँख में चटनी गिरी जो चटपटेपन का निकर थी
बाल पर सिरका गिरा जैसे ललित लोशन उड़ेला
क्रीम भुर्ते का लगा मुखपर हुआ मेरा उजेला
ले रहे हैं स्वाद सब अवयव, न रसना रसमयी है
                     फेल बिजली हो गयी है