भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिटिया रानी / गरिमा सक्सेना
Kavita Kosh से
बिटिया रानी, बिटिया रानी,
बड़ी सलोनी बड़ी सयानी।
लक्ष्मीबाई की सुनती है,
वह मुझसे हर रोज कहानी।
लता, इंदिरा और कल्पना,
जैसा बनना उसका सपना।
बातें करती मुझसे ऐसे,
जैसे हो वो मेरी नानी।
वो कहती उसको पढ़ना है,
अपना कल उसको गढ़ना है।
होम-वर्क पूरे करती है,
कभी नहीं करती नादानी।
घर के सारे काम जानती,
सभी बड़ों की बात मानती।
कविताओं को गाती है वह,
रखती उनको याद जुबानी।