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बिना बादळ / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
सूना
सूका खेत
भंवती रेत
चिड़ी-कागला
बिच्छू-कांटा
सांप-सळीटा
तजग्या हेत
रूंख-बेलडयां
पान-फूस
घास-डचाब
भखगी रेत।
मन रा मोरिया
बिना बादळ
नाचै ककीर
मुरधर हेत।