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बिना सनन्द के माणस धोरै मत भेजै भठियारी / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों राजा अम्ब जब जंगल से पत्ते लेने गया हुआ था तो पीछे से एक सौदागर भठियारी की सराय में आ जाता है। वह रानी अम्बली की सुन्दरता पर मोहित हो जाता है। वह भठियारी को रिश्वत देकर रानी अम्बली को उसके पास भेजने के लिए मना लेता है। भठियारी रानी अम्बली को सौदागर का खाना जहाज में पहुंचाने के लिए कहती है तो अम्बली उसे क्या जवाब देती है-

हाथ जोड़ कै कहरी सूं एक बात मान ले म्हारी
बिना सनन्द के माणस धोरै मत भेजै भठियारी।टेक

बिना सनन्द के माणस धोरै मेरा जाणा बणता कोन्या
हक ना हक की बातां का दुःख ठाणा बणता कोन्या
सती बीर का टोटे मैं इतराणा बणता कोन्या
जो तुं कहरी सै इन बातां मैं धिंगताणा बणता कोन्या
एक हाथ मैं भोजन लेज्या दुजे कै म्हां झारी।

तेरे कड़वै बोल क्रोध के सुण कै थर-थर गात करै सै
मैं भोली सूं भोले घरां की तू छल तै बात करै सै
भठियारी तै मिलकै नै दिन की रात करै सै
लोभ के बस धर्म नष्ट मेरा क्यूं बदजात करै सै
हम तेरी सराय मैं आ ठहरे म्हारी ईश्वर नै मत मारी।

सुदेशना नै नार द्रोपद किचक धौरे घाली
के बिगड़ी का मोल द्रोपद फेर रोवंती चाली
हाथ पकड़ के किचक बोल्या बणज्या नै घरआली
वा बोली मेरा सांस सबर का कदे ना जागा खाली
उड़ै सारे किचक नष्ट हुए न्यू थूकै दुनियां सारी।

अमृतसर तै चलकै आए लिया तरा शरणा सै
हाजर खिदमतदार रहूं तेरे आगे कै फिरणा सै
मेहर सिंह दे हुकम मनै फिलहाल वही करणा सै
मेहनत करकै दुनियां के म्हां पेट खढ़ा भरणा सै
कोए मत करियो कार पराई सै मुश्किल ताबेदारी।